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how to wake your fortune | सोये भाग्य को जगाने क उपाय

जय माता दी ।। ========================== अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा है काम रुक रुक के बन रहे है। तो देखिए अपनी कुंडली में भाग्य का मालिक कोनसे देवता हैऔर निम्न उपाय से उन्हें प्रसन्न करिये।।!! यदि बुध भाग्येश होकर अच्छा फल देने में असमर्थ हो तो निम्न उपाय करने चाहिए। 1. तांबे का कड़ा हाथ में धारण करें। 2. गणेश जी की उपासना करें। 3. गाय को हरा चारा खिलाएं। यदि शुक्र भाग्येश होकर फलदायक न हो तो निम्न उपाय करने चाहिए। 1. स्फटिक की माला से ओम शुक्र देवाय नमः की एक माला का जप करें। 2. शुक्रवार को चावल का दान करें। 3. लक्ष्मी जी की उपासना करें। भाग्येश चंद्र को अनुकूल करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें। ॐ श्रां: श्रीं: श्रौं: सः चंद्रमसे नमः का जप करें। 2. चांदी के गिलास में जल पिएं। 3. शिव जी की उपासना करें। यदि गुरु के कारण भाग्य साथ न दे रहा हो तो निम्नलिखित उपाय करें। 1. विष्णु जी की आराधना करें। 2. गाय को आलू में हल्दी लगा कर खिलाएं। 3. गुरुवार को पीली वस्तुओं का दान करें। भाग्येश शनि को मजबूत करने के लिए निम्न उपाय करें। 1. काले वस्त्रों तथा नीले वस्त्रों को यथा संभव न पहनें। 2. शनिवार को ...

कैसे भाग्य को मजबूत करे ( HOW TO STRENGTHEN YOUR LORD OF FORTUNE)

भाग्येश अगर ठीक नही है तो उपाय करने होगे :भाग्येश को अनुकूल करने के लिये जो ग्रह भाग्येश है उसका उपाय करना चाहिए।यदि भाग्येश सूर्य को प्रबल करना है तो निम्न उपाय करें। भाग्येश सूर्य: यदि सूर्य भाग्येश होकर अच्छा फल देने में असमर्थ हो तो निम्न उपाय करने चाहिए। घर की पूर्व दिशा वास्तुशास्त्र अनुसार ठीक करें। भगवान विष्णु की आराधना करे । बंदर, गाय को भोजन कराएं। सूर्य को अर्घ्य देना। ताम्र पत्र में शुद्ध जल ,लाल पुष्प ,लाल चन्दन या कुषा डालकर सूर्य को "ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः" से अर्घ्य दें . लाल चन्दन या केशर का तिलक लगायें. रविवार का व्रत रखना चाहिए । मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलना चाहिए । पिता का सम्मान करना चाहिए । आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए । तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करना चाहिए । कार्य पर जाने के समय मीठा खाकर कर जावे । ॐ घृणी सूर्याय नमः जाप करें। गाय का दान करना चाहिए.। गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए . गाय की सेवा करनी चाहिए । सुबह उठकर सूर्य देवता को अध्र्य देना चाहिए . गुड़, सोना, तांबा और गेह...

Planets in the Signs

Sun in Aries Happy when active, challenged, or self-absorbed. Influential in promoting self-interests. Sun in Taurus Happy when rich, or indulging in food, music, or sex. Influential financier or entertainer. Sun in Gemini Happy when thinking, talking, joking, or communicating. Influential writer, speaker, thinker. Sun in Cancer Happy when secure or safe or comfortable. Influential parent, caretaker, buisness person. Sun in Leo Happy when noticed or recognized or flattered and admired. Influential in all matters. Sun in Virgo Happy when useful or correct or needed. Influential worker, server, doctor, technician. Sun in Libra Happy when relating or harmonizing or beautifying. Influential partner, mate, mediator. Sun in Scorpio Happy when having intense experiences(sex, drugs, etc.). Influential surgeon, criminal, investigator. Sun in Sagittarius Happy when traveling, learning, or exploring. Influential priest, explorer, ambassador. Sun in Capricorn Happy when successful, managing, or in...

General knowledge of astrology

ज्योतिष में कुल 9 ग्रहों की गणना की जाती है। इनमें सूर्य, चंद्र, बृहस्पति (गुरु), शुक्र, मंगल, बुध, ‍श‍िन मुख्य ग्रह तथा राहु-केतु छाया ग्रह माने जाते हैं। इन ग्रहों में सूर्य-मंगल क्रूर ग्रह तथा शनि, राहु व केतु पाप ग्रह माने जाते हैं। सूर्य हमारे नेत्र, सिर और हृदय पर प्रभाव रखता है। मंगल पित्त, रक्त, कान, नाक पर और शनि हड्डियों, मस्तिष्क, पैर-पिंडलियों पर प्रभुत्व रखता है। राहु-केतु का स्वतंत्र प्रभाव नहीं होता है। वे जिस राशि में या जिस ग्रह के स ाथ बैठते हैं, उसके प्रभाव को बढ़ाते हैं। बृहस्पति, शुक्र, बुध शुभ ग्रह माने जाते हैं। पूर्ण चंद्रमा शुभ कहा गया है। मगर कृष्ण पक्ष की तरफ बढ़ता चंद्रमा पापी हो जाता है। बृहस्पति शरीर में चर्बी, गुर्दे, व पाचन को नियंत्रित करता है। शुक्र वीर्य, आँख व कामशक्ति को नियंत्रण में रखता है। बुध का वर्चस्व वाणी (जीभ) पर होता है। चंद्रमा छाती, फेफड़े व नेत्रज्योति पर अपना प्रभाव रखता है। ग्रहों का कारकत्व : जन्मकुंडली में 12 भाव होते हैं। भावों के नैसर्गिक कारक निम्नानुसार है- सूर्य- प्रथम भाव, दशम भाव चंद्र- चतुर्थ भाव शनि- षष्ठ, व्यय, अष्टम भाव शु...

SATURN AND MOON COMBINATION EFFECTS

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि के योग के क्या फल हैं? जानिए... - जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हो तो वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, लोभी, आलसी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता। - किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं। - कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय ह ोता है परंतु स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला होता है। - चंद्र और शनि किसी व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है। इस संबंध में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कुंडली में अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय रहती है। शनि-चंद्र के बुरे प्रभाव से बचने के उपाय - चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें। - शनि की वस्तुएं दान करें और दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें। - हनुमानजी का पूजन करें। प्रति...

GURU-RAHU COMBINATION

बृहस्पति और राहु जब साथ होते हैं या फिर एक दूसरे को किन्ही भी भावो में बैठ कर देखते हो, तो गुरू चाण्डाल योग निर्माण होता है। चाण्डाल का अर्थ निम्नतर जाति है। कहा गया कि चाण्डाल की छाया भी ब्राह्मण को या गुरू को अशुद्ध कर देती है। गुरु चंडाल योग को संगति के उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। जिस प्रकार कुसंगति के प्रभाव से श्रेष्ठता या सद्गुण भी दुष्प्रभावित हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार शुभ फल कारक गुरु ग्रह भी राहु जैसे नीच ग्रह के प्रभाव से अपने सद्गुण खो देते है। ज िस प्रकार हींग की तीव्र गंध केसर की सुगंध को भी ढक लेती है और स्वयं ही हावी हो जाती है, उसी प्रकार राहु अपनी प्रबल नकारात्मकता के तीव्र प्रभाव में गुरु की सौम्य, सकारात्मकता को भी निष्क्रीय कर देता है। राहु चांडाल जाति, स्वभाव में नकारात्मक तामसिक गुणों का ग्रह है, इसलिए इस योग को गुरु चांडाल योग कहा जाता है। जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईष्र्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं काम...

RAVI PRODOSH VRAT ( रवि प्रदोष व्रत )

पुराणों के अनुसार रवि प्रदोष व्रत करने से बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत के पालन के लिए शास्त्रोक्त विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है- - प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं। - शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें। - भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। - आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें । - रात्रि में जागरण करें। इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।

SUN WITH OTHER PLANETS IN ASTROLOGY ( सूर्य का अन्य ग्रहों के साथ होने पर फ़ल कथन )

==================================== 1.सूर्य और चन्द्र दोनो के एक साथ होने पर सूर्य को पिता और चन्द्र को यात्रा मानने पर पिता की यात्रा के प्रति कहा जा सकता है.सूर्य राज्य है तो चन्द्र यात्रा राजकीय यात्रा भी कही जा सकती है.एक संतान की उन्नति जन्म स्थान से बाहर होती है. 2.सूर्य और मंगल के साथ होने पर मंगल शक्ति है अभिमान है,इस प्रकार से पिता शक्तिशाली और प्रभावी होता है.मंगल भाई है तो वह सहयोग करेगा,मंगल रक्त है तो पिता और पुत्र दोनो में रक्त सम्बन्धी बीमारी होती है,ह्रदय रोग भी हो सकता है.दोनो ग्रह १-१२ या १७ में हो तो यह जरूरी हो जाता है.स्त्री चक्र में पति प्रभावी होता है,गुस्सा अधिक होता है,परन्तु आपस में प्रेम भी अधिक होता है,मंगल पति का कारक बन जाता है. 3.सूर्य और बुध में बुध ज्ञानी है,बली होने पर राजदूत जैसे पद मिलते है,पिता पुत्र दोनो ही ज्ञानी होते हैं.समाज में प्रतिष्ठा मिलती है.जातक के अन्दर वासना का भंडार होता है,दोनो मिलकर नकली मंगल का रूप भी धारण करलेता है.पिता के बहन हो और पिता के पास भूमि भी हो,पिता का सम्बन्ध किसी महिला से भी हो. 4. सूर्य और गुरु के साथ होने पर सूर्य आ...

5 WAYS TO WORSHIP OF SUN ( REMEDIES FOR BAD SUN PLACEMENT IN HOROSCOPE )

सूर्य उपासना के 5 आसान उपाय मनचाहा काम, आमदनी व प्रतिष्ठा पाने की कामना जल्द पूरी करने में बेहद प्रभावी माने गए हैं। ये उपाय जन्मकुण्डली में सूर्य दोष से मिलने वाले रोग, असफलता व अपयश से भी बचाते हैं। जानते हैं ये सरल उपाय - - हर रोज स्नान के बाद सुबह यथासंभव सूर्योदय के वक्त सूर्य को तांबे के कलश से लाल चंदन मिले जल से 'ऊँ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र बोलकर अर्घ्य दें। - इस सूर्य प्रतिमा को लाल चंदन लगाकर इस सूर्य मंत्र का स्मरण करें या आदित्यहृदयस्त्रोत का पाठ करें - नम: सूर्याय नित्याय रवयेऽर्काय भानवे। भास्कराय मतङ्गाय मार्तण्डाय विवस्वते।। - लाल चंदन का तिलक मस्तक पर लगाएं। - तांबे का कड़ा हाथ में पहनें। - गाय को पानी में थोड़े-से गेंहू भिगोकर खिलाएं।

REMEDIES FOR AVOIDING DELAY IN MARRIAGE

समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने हितकारी रहते है. उपाय करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग की बाधाएं दूर होती है. उपाय करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें (Precautions while doing Jyotish remedies) 1. किसी भी उपाय को करते समय, व्यक्ति के मन में यही विचार होना चाहिए, कि वह जो भी उपाय कर रहा है, वह ईश्वरीय कृ्पा से अवश्य ही शुभ फल देगा. 2. सभी उपाय पूर्णत: सात्विक है तथा इनसे किसी के अहित करने का विचार नहीं है. 3. उपाय करते समय उपाय पर होने वाले व्ययों को लेकर चिन्तित नहीं होना चाहिए. 4. उपाय से संबन्धित गोपनीयता रखना हितकारी होता है. 5. यह मान कर चलना चाहिए, कि श्रद्धा व विश्वास से सभी कामनाएं पूर्ण होती है. आईये शीघ्र विवाह के उपायों को समझने का प्रयास करें (Remedies for a late marriage) 1. हल्दी के प्रयोग से उपाय व...

RULING PLANETS DURING 9 MONTHS OF PREGNANCY (गर्भ मास के अधिपति ग्रह ) ACCORDING TO VEDIC ASTROLOGY

गर्भाधान से नवें महीने तक प्रत्येक मास के अधिपति ग्रह के पदार्थों का उनके वार में दान करने से गर्भ क्षय का भय नहीं रहता | गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनके दान निम्नलिखित हैं —— प्रथम मास — – शुक्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा शुक्रवार को ) द्वितीय मास — –मंगल ( गुड ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा मंगलवार को ) तृतीय मास — – गुरु ( पीला वस्त्र ,हल्दी ,स्वर्ण , पपीता ,चने कि दाल , बेसन व दक्षिणा गुरूवार को ) चतुर्थ मास — – सूर्य ( गुड , गेहूं ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा रविवार को ) पंचम मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को ) षष्ट मास — –- शनि ( काले तिल ,काले उडद ,तेल ,लोहा ,काला वस्त्र व दक्षिणा शनिवार को ) सप्तम मास —– बुध ( हरा वस्त्र ,मूंग ,कांसे का पात्र ,हरी सब्जियां व दक्षिणा बुधवार को ) अष्टम मास —- गर्भाधान कालिक लग्नेश ग्रह से सम्बंधित दान उसके वार में |यदि पता न हो तो अन्न ,वस्त्र व फल का दान अष्टम मास लगते ही नकार दें | नवं मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गे...

Signs of weaken moon in Vedic Astrology

अगर हमारा चन्द्र खराब होता है तो : *हम झगड़ा छोटी छोटी बातों पर करते है , * चिड़चिड़ाना बढ़ जाता है , * मन में confusions पैदा होने लगती है , * और हमारा लक्ष्य हमसे दूर होने लगता है , * साथ में हमारे चेहरे का निचला हिस्सा भी खराब होने लगता है , दाग धब्बे , * skin discoloration होने लगती है , * तनाव घेर लेता है और चेहरे का तेज और आकर्षण खत्म हो जाता है , *होंठ फट जाते हैं , *चेहरे की त्वचा सुखी हुई रहती है , और चन्द्र प्रभाविते चेहरे के हिस्से ( गालों से ठोड़ी तक ) में तिल , मुहासे ज्यादा होने लगते है . अगर यह सब लक्षण आपके चेहरे पर है और आप तनाव से भी जूझ रहे है तो यह समय है सतर्क रहने का , क्योंकि जब हमारे चेहरे में आकर्षण और सुंदरता नहीं रहती तो हमे inferiority complex , आत्मविश्वास कम होने लगता है | तो बुधवार , गुरुवार , शनिवार को फिटकरी के पानी से 3 बारी कुल्ला करना चाहिए , कुल्ला सुबह brush करने से पहले करे | चंद्रमा की रोशनी में बेटे , चांदी के बर्तन में पानी पिये , अपनी माँ की सेवा करें |

Remedy for combust venus in Horoscope - Aparajita Stotram

Aparajita Stotram – Magical Mantra from Devi Mahatmyam  It is common knowledge that  Venus, or Śukra , is the significator of love, affection, marriage and romantic relationships of every nature. Śukra means that which is pure and bright; hence Śukra in jyotiṣa  terminology literally means semen, or that essential fluid which is the building block of life. Venus, therefore rules the testicles and the ovaries and the reproductive organs, sexuality and libido, the body fluids, sex appeal, and every kind of desire and wish that arises in the hearts of men. It represents beauty, love, devotion, poetry, the arts, sweetness, marriage, flowers, young couples, attraction, infatuation, decoration, adornment, ornamentation, opulence and the luxuries of the earthly plane through the satisfaction of the sensual desires. THE COMBUSTION OF VENUS Venus has a peculiar and symbiotic relationship with Sun.  Venus  is selfish by nature. He is rājasik and is always taking for himse...

HOW SUN SPOILS VENUS's GOOD EFFECTS ( सूर्य कैसे शुक्र के सुखों को को ख़राब करते हैं।)

1- जब सूर्य के साथ या सूर्य की दृष्टि में शनि देव आ जाएँ तब शुक्र देव का ही नुकसान होता है।  2- जब सूर्य के साथ शुक्र देव एक ही घर में या किसी वर्ष फल में सूर्य की दृष्टि शुक्र देव के ऊपर पड़ रही हो तब भी शुक्र देव के सुखो में कमी हो जाती है। 3- जब सूर्य देव शुक्र देव के पक्के घर 7 में बैठ जाएँ तब भी शुक्र देव के फलों में परेशानी होती है। 4- जब सूर्य देव घर 12 जोकि बिस्तर के सुखों का घर है बंहा पर सूर्य देव बैठ कर शुक्र के सुखो का नाश करते हैं। किउंकि विस्तर के सुख का कारण शुक्र देव हैं। साथ ही शुक्र को फूल भी बोला जाता है। और सूर्य तो आग का विशाल गोला है तो आग के पास फूल जल जाता है।और हाँ एक बात और सूर्य 12 बाले जातक का जीवन साथी बिस्तर पर प्यार कम और झगड़ा ज्यादा करता है। इस प्रकार से सूर्य देव शुक्र को हानि पहुंचाते हैं। शुक्र देव के सुख क्या हैं इये भी बता देता हूँ। पति पत्नी के जितने भी सुख जैसे सम्भोग के सुख आपसी मिजाज का अच्छा होना। घर सुंदर और घर में साज सज्जा के भरपूर सामान। साथ ही घर में लगजिरियस सामान की कोई कमी ना होना। अच्छे शुक्र बाले व्यक्ति सुंदर होते हैं। उन्हेँ सुंद...

CHANGE YOUR HABBITS AND CHANGE YOUR PLANETS EFFECT

ग्रहों की शान्ति के उपाय : आदत बदले और कुंडली के ग्रह बदले : आदतो का सम्बन्ध ग्रहों से होता है। तो आप अपनी आदत बदल कर ग्रहों के खराब असर को कम कर सकते हैं। ग्रह और आदत : राहू का असर : घर मे व्यक्ति , मेहमान , काम करने वाला: पानी पिलाने से राहू कुंडली मे ठीक हो कर , बुरे प्रभाव को कम कर के सुख-संपत्ति प्राप्त कराता है। राहू और शनि असर : कुंडली मे राहू और शनि को ठीक करने के लिए घर और बिस्तर को अस्त-व्यस्त न रहने देवे । सुबह उठते ही अपने बिस्तर की सलवटें ठीक करे तथा चादर और तकिया ठीक जगह पर रखे। बिखरी हुई चीजों को ठीक जगह पर रखे।राहू और शनि का कुंडली मे बुरा प्रभाव को कम होता है। सूर्य का असर: थूकने की आदत से सूर्य खराब होते है और यश, सम्मान कमी लाता है। तो सूर्य का नकारात्मक प्रभाव ठीक करने के लिए सिर्फ वाश बेसिन में ही थूकने की आदत डाले ताकि उनकी मान- प्रतिष्ठा बनी रहे । सूर्य, शुक्र, बुध, चन्द्रमा का असर : घर मे पौधों लगाने से सूर्य, शुक्र, बुध, चन्द्रमा ठीक होता है। उनकी देखभाल ठीक से करना चाहिए । शारीरिक बीमारियां ठीक होती है। मंगल का असर : रसोई में सफाई करने की आदत रहने से मंगल ग्रह...

RAHU IN ALL HOUSES IN YOUR HOROSCOPE

राहू अलग अलग भावो मे : प्रथम भाव महत्वकांक्षी, कुलाभिमानी, पिच्छली ३ पेढियो मे कोई कुलदीपक हुआ हो, विवाद मे कुशल, दुष्ट बुध्धिवाला द्वितीय भाव धनप्राप्ति के लिये कुछ भी करने वाला, झूठ बोलने वाला,व्यसनी तृतिया भाव ध्येय के प्रती आत्मसमर्पन, सौतेले भाइ-बहन होने की संभावना, प्रवासी, लडैया, नाये धरम और तत्व का प्रवर्तक,लोक-विलक्षन कार्य करनेवाला,संकट पर विजय प्राप्त करनेवाला चतुर्थ भाव विध्याप्राप्ति मे विध्न, इछित विध्या प्राप्त ना हो,अल्प संतती, धर्म विरोधक,प्रवास मे कष्ट पंचम भाव पिता से बैर, ममा-मौसी से बैर, विध्याप्राप्ति मे बाधा फिरभी विध्या प्राप्त हो,कला, कुशलता, खेती-बाढी, संतान प्राप्ति मे बाधा, कब्ज छ्ठा भाव युध्धप्रेमी, नेत्रुत्व करनेवाला, अतिकामी, स्त्री-लंपट, ननीहाल का सुख कम सप्तम भाव पैसे खने का अरोप लग सकता है, अपनी नजरो के सामने स्वजनो का नाश, किसी कुटुम्बिजन का आपघात से मृ‍त्यु, खर्चिला,लोकनिन्दा अष्टम भाव भागीदारी मे चीटिंग, प्रियजन से वियोग, पत्नी का नाश नवम भाव धर्मविरोधी तत्व वाला, जानबुझ के गलत रस्तो पर चलनेवाला,पितृधन का नाश दशम भाव सार्वजनिक क्षेत्र मे नुकशान, भाई...