RULING PLANETS DURING 9 MONTHS OF PREGNANCY (गर्भ मास के अधिपति ग्रह ) ACCORDING TO VEDIC ASTROLOGY



गर्भाधान से नवें महीने तक प्रत्येक मास के अधिपति
ग्रह के पदार्थों का उनके वार में दान करने से गर्भ क्षय
का भय नहीं रहता | गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनके
दान निम्नलिखित हैं ——


प्रथम मास — – शुक्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा
,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा शुक्रवार
को )
द्वितीय मास — –मंगल ( गुड ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल
वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा मंगलवार को )
तृतीय मास — – गुरु ( पीला वस्त्र ,हल्दी ,स्वर्ण ,
पपीता ,चने कि दाल , बेसन व दक्षिणा गुरूवार को )
चतुर्थ मास — – सूर्य ( गुड , गेहूं ,ताम्बा ,सिन्दूर
,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा रविवार को )
पंचम मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध
,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को )
षष्ट मास — –- शनि ( काले तिल ,काले उडद ,तेल
,लोहा ,काला वस्त्र व दक्षिणा शनिवार को )
सप्तम मास —– बुध ( हरा वस्त्र ,मूंग ,कांसे का पात्र
,हरी सब्जियां व दक्षिणा बुधवार को )
अष्टम मास —- गर्भाधान कालिक लग्नेश ग्रह से
सम्बंधित दान उसके वार में |यदि पता न हो तो अन्न
,वस्त्र व फल का दान अष्टम मास लगते ही नकार दें |
नवं मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध
,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को )

Comments

Popular posts from this blog

JUPITER IN ALL HOUSE ACCORDING TO VEDIC ASTROLOGY