IMPORTANCE OF NUMBER 9 IN HINDU MYTHOLOGY
नौ ही क्यो ?
भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च ।
अहंकार इतीयं मे प्रकृतिरष्टधा ।
कहकर भगवान ने आठ प्रकृतियोँ का प्रतिपादन किया है इनसे परे केवल ब्रह्म ही है अर्थात् आठ प्रकृति एवं एक ब्रह्म ये नौ हुए जो परिपूर्णतम है -
नौ देवियाँ , शरीर के नौ छिद्र , नवधा भक्ति , नवरात्र ये सभी पूर्ण हैँ
नौ के अतिरिक्त संसार मे कुछ नहीँ है इसके अतिरिक्त जो है वह शून्य (0) है ।
इसीलिए तुलसी जी ने नौ दोहो चौपाईयो मे नाम वन्दना की है ..
किसी भी अंक को नौ से गुणाकरने पर गुणन फल का योग नौ ही होता है .,....
अतः नौ ही परिपूर्ण है ।
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