Saturn effects for on your home building
किसके लिये कौनसा घर शुभ यां अशुभ सिद्ध होगा कहना मुश्किल होता है और घर लेने के लिये वर्षों की मेहनत क्या रंग लायेगी - भविष्य के गर्भ में छुपा होता है ।
भविष्य का सम्बन्ध ज्योतिष से है और लाल-किताब हमें बताती है कि आपकी कुंडली में शनि जहाँ होगा अपने घर का वैसा फल आपको मिलेगा ।
● लाल-किताब कहती है । किसी की कुंडली में अगर शनि, प्रथम भाव में है । तो उसको आर्थिक हानि होगी और ऐसा अपना घर लेते ही होगा । लेकिन बलवान शनि, स्वराशि और उच्च का शनि आर्थिक हानि से बचा सकता है ।
● किसी की कुंडली में शनि अगर द्वितीय भाव में हो तो घर जैसे भी बने उसे बनने देना चाहिये । आप घर के बनने को रोके नहीं, घर बनते ही शनि बलवान हो जाता है और आर्थिक स्तिथि शुभ हो जाती है ।
● तृतीय भाव में शनि होने से अपना घर बनाना शुभ नहीं होता । पहले तो बंनाने में ही बहुत दिक्कते आती हैं । फिर भी घर बंनाने से पहले अगर तीन कुत्ते पालें जाएँ तो घर आसानी से बन जाता है ।
● चतुर्थ भाव में अगर शनि हो तो अपना घर बना लेने के बाद माँ और माँ सामान स्त्रियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
● अगर पंचम भाव में शनि हो तो अपना घर बना लेने के बाद संतान पर बुरा प्रभाव पड़ता है । लेकिन संतान ही घर बनाये तो शुभ होता है । फिर जातक खुद घर बनाना चाहे तो किसी काले जानवर जैसे भैंस आदि को दान किया जाये यां उसे खरीदकर जिन्दा छोड़ दिया जाये फिर अपना घर बनाया जाये और 48 वर्ष के बाद बनाया जाये तो शुभ होता है ।
● अगर शनि षष्ठ भाव में हो तो 39 वर्ष के बाद घर बनाना चाहिये अन्यथा बेटियों और उनकी ससुराल में संकट पैदा होता है ।
● अगर शनि सप्तम भाव में हो तो जातक को बना-बनाया घर मिलता है और उसके लिये बहुत शुभ होता है ।
● अष्टम में शनि हो तो अपने घर के लिये बहुत अशुभ सिद्ध होता है । घर का निर्माण आरम्भ होते ही घर में मृत्यु दर बढ़ जाती है ।
● शनि अगर नवम भाव में हो और जातक की पत्नी गर्भवती हो तो घर का निर्माण जातक की मृत्यु का कारण बन जाता है ।
● दशम का शनि हो तो घर का निर्माण जातक की आमदनी बंद करवा देगा । जब तक घर का निर्माण आरम्भ नहीं होता अच्छी आमदनी होती रहेगी । ऐसे में अपने चाचा से क़र्ज़ लेकर घर बनाना शुभ होगा ।
● अगर शनि एकादश भाव में हो तो अपना घर देरी से बनता है । लेकिन अगर उस घर का द्वार दक्षिण दिशा में हुआ तो जातक लंबी बिमारी के कारण बिस्तर पकड़ लेगा ।
● अगर शनि द्वादश भाव में हो तो जातक का अपना घर जल्दी ही बन जाता है और उसे इसके लिये ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती और घर भी शुभ सिद्ध होता है । चाहे शनि का शत्रु सूर्य भी शनि के साथ हो ।
बहरहाल, पाराशर-पद्धति से कुंडली में और भी कई योग अपने घर के लिये दर्शाये गये है । कुंडली का सभी तरह से विश्लेषण आवश्यक है । ये तो बस एक शनि ग्रह का ही विश्लेषण है ।
भविष्य का सम्बन्ध ज्योतिष से है और लाल-किताब हमें बताती है कि आपकी कुंडली में शनि जहाँ होगा अपने घर का वैसा फल आपको मिलेगा ।
● लाल-किताब कहती है । किसी की कुंडली में अगर शनि, प्रथम भाव में है । तो उसको आर्थिक हानि होगी और ऐसा अपना घर लेते ही होगा । लेकिन बलवान शनि, स्वराशि और उच्च का शनि आर्थिक हानि से बचा सकता है ।
● किसी की कुंडली में शनि अगर द्वितीय भाव में हो तो घर जैसे भी बने उसे बनने देना चाहिये । आप घर के बनने को रोके नहीं, घर बनते ही शनि बलवान हो जाता है और आर्थिक स्तिथि शुभ हो जाती है ।
● तृतीय भाव में शनि होने से अपना घर बनाना शुभ नहीं होता । पहले तो बंनाने में ही बहुत दिक्कते आती हैं । फिर भी घर बंनाने से पहले अगर तीन कुत्ते पालें जाएँ तो घर आसानी से बन जाता है ।
● चतुर्थ भाव में अगर शनि हो तो अपना घर बना लेने के बाद माँ और माँ सामान स्त्रियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
● अगर पंचम भाव में शनि हो तो अपना घर बना लेने के बाद संतान पर बुरा प्रभाव पड़ता है । लेकिन संतान ही घर बनाये तो शुभ होता है । फिर जातक खुद घर बनाना चाहे तो किसी काले जानवर जैसे भैंस आदि को दान किया जाये यां उसे खरीदकर जिन्दा छोड़ दिया जाये फिर अपना घर बनाया जाये और 48 वर्ष के बाद बनाया जाये तो शुभ होता है ।
● अगर शनि षष्ठ भाव में हो तो 39 वर्ष के बाद घर बनाना चाहिये अन्यथा बेटियों और उनकी ससुराल में संकट पैदा होता है ।
● अगर शनि सप्तम भाव में हो तो जातक को बना-बनाया घर मिलता है और उसके लिये बहुत शुभ होता है ।
● अष्टम में शनि हो तो अपने घर के लिये बहुत अशुभ सिद्ध होता है । घर का निर्माण आरम्भ होते ही घर में मृत्यु दर बढ़ जाती है ।
● शनि अगर नवम भाव में हो और जातक की पत्नी गर्भवती हो तो घर का निर्माण जातक की मृत्यु का कारण बन जाता है ।
● दशम का शनि हो तो घर का निर्माण जातक की आमदनी बंद करवा देगा । जब तक घर का निर्माण आरम्भ नहीं होता अच्छी आमदनी होती रहेगी । ऐसे में अपने चाचा से क़र्ज़ लेकर घर बनाना शुभ होगा ।
● अगर शनि एकादश भाव में हो तो अपना घर देरी से बनता है । लेकिन अगर उस घर का द्वार दक्षिण दिशा में हुआ तो जातक लंबी बिमारी के कारण बिस्तर पकड़ लेगा ।
● अगर शनि द्वादश भाव में हो तो जातक का अपना घर जल्दी ही बन जाता है और उसे इसके लिये ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती और घर भी शुभ सिद्ध होता है । चाहे शनि का शत्रु सूर्य भी शनि के साथ हो ।
बहरहाल, पाराशर-पद्धति से कुंडली में और भी कई योग अपने घर के लिये दर्शाये गये है । कुंडली का सभी तरह से विश्लेषण आवश्यक है । ये तो बस एक शनि ग्रह का ही विश्लेषण है ।
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