SATURN AND MARS COMBINATION

शनि और मंगल की युति :-

शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में
होती है। कुंडली में
इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर
व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है,
वहीं शुभ होने पर वे व्यक्ति को सारे सुख दे डालते
हैं।शनि व मंगल परस्पर शत्रुता रखते हैं। इसीलिए
यदि किसी कुंडली में ये दोनों ग्रह साथ-साथ
हों, चाहे शुभ भावों के स्थायी क्यों न हो,
जीवन को कष्टकार बनाते ही हैं। ये ग्रह
जिस भी भाव में साथ-साथ हो (युति में) या सम सप्तम
हो (प्रतियुति) भावजन्य
फलों की हानि ही करते हैं।शनि-मंगल
युति-प्रतियुति जीवन में आकस्मिकता का समावेश कर
देती है। वैवाहिक जीवन,
नौकरी, व्यवसाय, संतान, गृह सौख्य इनसे संबंधित
शुभ-अशुभ घटनाएँ जीवन में अचानक
घटती हैं। अचानक विवाह जुड़ना, अचानक प्रमोशन,
बिना कारण घर बदलना, नौकरी छूटना, कार्यस्थल
या शहर-देश से पलायन आदि शनि-मंगल युति के आकस्मिक परिणाम
होते हैं।
इस युति के जातक कभी स्थायित्व प्राप्त
नहीं करते, उन्नति व अवनति भी अचानक
घटती रहती है। अन्य
ग्रहों की स्थिति अनुकूल होने पर भी कम
से कम आयु के 36वें वर्ष तक कष्ट व
अस्िथरता बनी ही रहती है,
फिर धीरे-धीरे स्थायित्व आता है। यह
युति सरकारी नौकरी, उच्चपद
प्रतिष्ठा प्राप्ति में भी रोड़े अटकाती है।
पैरालिसिस
जैसी बीमारी भी हो सकती है।
सप्तम स्थान में यह युति अत्यंत हानिकारक परिणाम
देती है। मंगल के कारण तनाव-विवाद बनता है मगर
शनि तुरंत विच्छेद नहीं होने देता।
जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कष्ट
बना रहता है, व्यवनाधीन होने, कटु वक्ता होने के
भी योग बनाता है और तालमेल के अभाव में वैवाहिक
जीवन दुखी बनाता है।अत:
ऐसी युति वाले जातकों का विवाह
बड़ों की सहमति से व बहुत सोच-समझकर
करना चाहिए

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