gemstones and their testing at home
मंगल रत्न मूंगा {अंग्रेजी में -कोरल कहते हैं }ये सिंदूरी लाल रंग का होता है | मंगल ग्रह को ज्योतिष में सेनापति माना जाता है |यह शक्ति का प्रतीक है |जो लोग कमजोर हों ,सुस्त हों उन्हें यह धारक करना चाहिए |शत्रु पर विजय ,कारोबार में उन्नति ,पदोन्नति आदि के लिए भी लोग मूंगा धारण करते हैं |यदि मंगल कुंडली में नीच का हो तो धारण नहीं करना चाहिए वरना लड़ाई- झगडे तक करवा देता है "मूंगा "||
--- मूंगा की पहचान आप स्वयं भी शास्त्र सम्मत कर पहन सकते हैं ?-
[1 ]-मूंगा को दूध में डालने पर दूध में से लाल रंग की झी दिखती है |
[2 ]-तेज धुप में मुंगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है ||
----भाव -संसार में सभी अलंकार ये युक्त होते हैं ,ये अलंकार को हटा दिया जाय तो जीवन की कल्पना या सुन्दरता में कुछ कमी रह जाएगी | ग्रंथों में भी अलंकार रस का प्रयोग होता है इसके बिना ये काव्य भी नीरस सा प्रतीत होते हैं |किन्तु ज्योतिष के अलंकार रूपी रत्न -शोभा के साथ -साथ विपरीत परिस्थिति में सहायक भी होते हैं ये शोभा तो बढ़ाते ही हैं दयनीय अवस्था के सहायक भी होते हैं -किन्तु यदि सही परखकर न लिया जाय तो रत्न की जगह उपरत्न हो जाते हैं -जो हमारी किसी भी प्रकार की रक्षा नहीं करते हैं ||
-हीरा रत्न को अंग्रेजी भाषा में डायमंड स्टोन कहते हैं । वृष एवं तुला राशि के साथ -साथ कुंडली में शुक्र की स्थिति को देखकर धारण करना चाहिए हीरा का स्वामी शुक्र है ।
-----हीरा का रंग स्वेत ,कठोर जिसे हम नहीं खुरच सकते हैं न ही घिस सकते हैं एवं जिससे लाल -नीली किरणें निकलती हैं ,साथ ही हीरा में काले रंग के बिंदु न हों तो वह हीरा उत्तम दर्जे का होता है ।
-----हीरा रत्न को सभी रत्नों का सरताज माना जाता है । शुक्र समृद्धि और वैभव का प्रतीक कुंडली में माना जाता है । इसलिए हीरा रत्न धारण करने से जातक पर बल ,कामेच्छा और व्यापारियों के कारोबार की वृद्धि होती है । घर में पति -पत्नी की कलह दूर करने के लिए हीरा रत्न धारण करना उचित रहता है ।
------- हीरा रत्न की पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं --------- {1 }गरम दूध में हीरा डालने पर दूध जल्दी ठंढा हो जाता है । --{2 }-पिघले हुए घी में हीरा डालने पर घी शीघ्र जमने लगता है ---{3 }-धूप में रखे हीरे से सतरंगी किरणें निकलती दिखाई देती है ।
नोट आपकी कसौटी पर हीरा सटीक उतरे तो हीरा होगा अन्यथा जरकिन उपरत्न हो जायेगा ----इसे शुक्रवार को उचित लग्न एवं शुक्ल पक्ष में धारण करना चाहिए ।
अस्तु -यदि परमात्मा की कृपा है ,धन की प्रचूरता है ,तो फिर अपनी शोभा और ग्रहों के निदान के लिए "रत्न अवश्य ही पहनें ,परन्तु जो पहनें वो सही हो -आइये जानते हैं --
पुखराज {टोपाज } ब्रेहस्पति "रत्न" को --यह पीले रंग का होता है |महिलाओं का यह प्रिय "रत्न "है |उन्हें इसके धारण करने से पति सुख प्राप्त होता है |व्यक्ति को धन संपत्ति ,पुत्र सुख ,स्त्री सुख मिलता है | इसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है | ब्रेहस्पति की महादशा किसी अन्य ग्रह की दशा में ब्रेहस्पति की अन्तर्दशा में यह अधिक फल देता है | अगर गुरु {ब्रेहस्पति } बारहवें स्थान पर हैं तो इसे धारण नहीं करना चाहिए ||
---------- पुखराज की जांच खुद करके देखें ----
[1]-सफेद कपडे पर पुखराज रखकर धुप में देखने पर कपडे पर पीली झाई -सी दिखती है ||
[2]-पुखराज को चौबीस घंटे दूध में रखने पर असली पुखराज की चमक कम नहीं होती है ||
"पन्ना" =हरे रंग का होता है |हर प्रकार के व्यापारियों ,लेखकों ,अध्यापकों ,कवियों ,कलाकारों के लिए ये लाभदायक माना गया है |वाक्शक्ति बढ़ाने में भी ये उपयोगी होता है |पन्ना वैसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है ,लेकिन जिसकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर या दोषयुक्त हो उसके लिए यह बहुत शुभ व् फल दायक होता है | बुध की महा दशा में भी जातक पहनते हैं || "पन्ने की जाँच इस प्रकार से करें = [१]-पन्ने को पानी के गिलास में डालने पर पानी में से हरी किरणें निकलने लगती हैं | [२]-टॉर्च के प्रकाश में पन्ने को देखने पर असली पन्ना गुलाबी दीखता है ,परन्तु नकली पन्ना हरा ही दीखता है ।
चंद्रमा का रत्न "मोती " है आंग्ल भाषा [अंग्रेजी में -पर्ल -कहते हैं |
ऐसा ज्योतिष में विदित है कि-प्रत्येक जीव मन के वशीभूत होते हैं ,जब मन स्थीर हो जाता है -तो शांति मिल जाती है एवं शांति के बिना -जीवन नीरस सा प्रतीत होता है || अस्तु "मोती " यह एक शुभ रत्न है |क्रोध कम करने ,बल्ड प्रेशर ,ह्रदय रोग ,चिंता ,तनाव ,पारिवारिक झगडे कम करने या शांति के लिए इसे धारण किया जाता है ||
"मोती "धारण करने से पूर्व "मोती "रत्न को आप स्वयं परख सकते हैं अपनी कसोटी पर ?
[1 ]-किसी मिटटी के वर्तन में गोमूत्र लेकर उसमें मोती को रत भर पड़ा रहने दें |सुबह तक नकली मोती टूट जायेगा ||
[२]-जमे घी में "मोती "डालने पर यदि वह पिघलने लगे तो वह मोती असली होगा ||
[3 ]-पानी से भरे कांच के गिलास में मोती डालने पर उसमें से किरणें निकलती दिखे तो वह असली "मोती "होगा ||
भाव -हम दिखावा के लिए रत्न न पहनें, सही परखें और सही समय से "मोती "कर्क " राशी या वृष राशी में यदि चंदामा हो तो धारण करना चाहिए ||
माणिक रत्न को कैसे परखें और पहनें ! पढ़ें "झा शास्त्री " {मेरठ } रत्नों को ज्योतिष शास्त्रों में अलंकार [शोभा ] कहा गया है |जीने की सबकी तमन्ना होती है ,उसमें भी धन रूपी शोभा के बिना जिस प्रकार से जीवन नीरस हो जाता है -ठीक "ज्योतिष में भी रत्नों के बिना-ज्योतिष -निष्फल सा लगने लगता है ||
अस्तु -रत्न हमारे शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं किन्तु विपरीत परिस्थिति में हमारी रक्षा भी करते हैं -चाहे वो धन की हो ,मर्यादा की हो ,या ग्रहों के दोष की हो ,ये सभी प्रकार से हमारी रक्षा करते हैं | किन्तु रत्न -यदि रत्न न हो -तो रक्षा भी न के बराबर ही हमारी करते हैं |नवग्रहों के हिसाब से -नवरत्न हैं और नव उपरत्न भी हैं | आज अनंत रत्न हैं ,अनंत मत हैं ,इसलिए हम सत्य की पहचान करने में असत्य की ओर भागने लगते हैं | "ज्योतिष "के अनुसार रत्न ही पहनें और केवल वो रत्न पहनें जो -हमारी सभी प्रकार से रक्षा करे एवं जब विशेष दिक्कत हो धन की- तो ये धन रूप में बिक भी जाय -इस प्रकार के रत्न पहनने चाहिए ,और इसकी जब तक सही परख न हो तो हम रत्न धारण न करें ?
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार -सूर्य -आत्मा पर ,चंद्रमा -मन पर ,मंगल धैर्य पर ,बुध -वाणी पर ,गुरु [ब्रेहस्प्ती ]-ज्ञान पर ,शुक्र -वीर्य पर और शनि संवेदना पर प्रभाव डालते हैं |जन्म कुंडली में जो ग्रह नीच राशि में या कमजोर होते हैं उनका दुष्प्रभाव पड़ता है और जो ग्रह उच्च राशि में या बलवान होते हैं उनका शुभ फल भी मिलता है |ऐसी दशा में ग्रहों की दुर्बलता दूर करने के लिए उनसे सम्बंधित रत्न भी पहने जाते हैं
[१]-सूर्यरत्न=माणिक्य या रूबी -गुलाबी लाल रंग का होता है |इसे धारण करने से भाग्योदय होता है ,शत्रुओं का नाश होता है ,पदोन्नति होती है ,समाज में प्रतिष्ठा बढती है | जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में -सूर्य -शुभ भाव में स्थित हो उसे ही -माणिक्य धारण करना चाहिए |
नोट -माणिक्य की पहचान इस प्रकार से करें -
[१]-गाय के दूध में माणिक्य डालने पर -दूध गुलाबी- सा दिखने लगता है ||
[२]-कांच के गिलास में माणिक्य रखने पर कांच में हलकी लाल किरणें निकलती दिखाई देती है |
[३]-कमल की कलि पर माणिक्य रखने से वह खिल जाता है ||
भाव -यदि आपकी कसोटी पर "माणिक्य "सटीक बैठे तो जरुर लें -ये शास्त्रों की प्रमाणिकता है ||
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